बेड़िया (पारसी)

वर्तमान में यह समुदाय ‘मध्यप्रदेश राज्य विमुक्त, घुमंतू एवं अर्द्धघुमन्‍तू जाति विभाग‘ द्वारा निर्धारित ‘विमुक्त समुदाय की सूची के अंतर्गत 11वें क्रमांक पर है। यह समुदाय मुख्य रूप से मध्यप्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र के सागर, दमोह, छतरपुर जिलों में सर्वाधिक संकेंद्रित है। साथ ही यह मध्यप्रदेश के पन्ना, रायसेन, भोपाल, गुना, चंदेरी, विदिशा आदि स्थानों में भी निवासरत है। बेड़िया शब्द बीहड़िया या बहेड़िया का अपभ्रंश रूप है, जिसका अर्थ है- बीहड़ (जंगल) में रहने वाले। स्वयं को कहीं-कहीं गंधर्व के तो कहीं-कहीं राजपूत के वंशज मानते हैं। आजकल इस समुदाय के लोग वेदवंशी भी लिखने लगे हैं और इनके गोत्र उपनाम के रूप में प्रयुक्त होते हैं, जैसे- संसिया, छारी, कलावत, धोले, धमनया, कालखुर, बेदी आदि।इस समुदाय की मुख्य पहचान लोकनृत्य ‘राई’ है। बेड़िया समाज की महिलाओं द्वारा किया जाने वाला यह राई नृत्य व गायन आज बुन्देलखण्ड की पहचान बन गया है। इन लोकनर्तकियों को ‘बेड़िनी’ कहा जाता है। उल्लेखनीय है कि बेड़िया समुदाय की सभी महिलाएँ बेड़िनियाँ नहीं कहलातीं,बल्कि केवल वे महिलाएँ ही बेड़िनी कहलाती हैं जो राई लोकनृत्य व गायन में संलग्न होती हैं। वैसे तो इनकी भाषा में मूलतः निवासरत क्षेत्र की बोली के शब्दों का आधिक्य होता है परंतु इसके अलावा इनकी एक विशिष्ट भाषा ‘पारसी’ है, जो इनकी गुप्त भाषा कहलाती है।

  • घटिया   ɡʰəʈɪjɑ
    घाटी
    valley
  • घरपूजा   ɡʰərəpuɟɑ
    गृह प्रवेश
    rituals performed first time to live in a house
  • घरें   ɡʰərẽ
    घोसला
    nest
  • घरेला सुंगरा   ɡʰərelɑ sʊ̃ŋɡərɑ
    घरेलू सुअर
    domestic pig
  • घाम उरइंया   ɡʰɑm ʊrəɪ̃jɑ
    सूर्यप्रकाश
    sunshine
  • घामों   gʰɑmõ
    तेज धूप
    sunny
  • घिटला   ɡʰɪʈəlɑ
    सूअर का बच्चा
    piglet
  • घिरना करना   gʰɪrənɑ kərənɑ
    घृणा करना
    to hate
  • घी   ɡʰi
    घी
    ghee
  • घुटरौआ होना   gʰʊʈərɔɑ hona
    घुटने के बल बैठना
    to kneel down (take a position)